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Category :
Fiction
ISBN No :9781545742563
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कालेज मे छात्र-छात्राओं के बीच खौफ का वह दूसरा नाम है जिसे सुनते ही, उनकी रुह काँप् जाती है । जिसके नाम मात्रसे ही वे दहशत मे आ जाते है । ऐसा क्या है इस साढे पाँच अक्षर के नाममें कि छात्र-छात्राएं नाम सुनते ही काँप उठते हैं। क्या आपको मालूम है कि छात्र-छात्राएं रैगिंग के नाम से इतना डरते क्यों है। कुछ पढ़ाई छोडने केलिए मजबूर हो जाते है तो कुछ सुसाइड तक कर लेते है। बहुत सारे सवाल ऐसे है जो आपके मनमे उठ रहे होगें। जिसे इस रैगिंग के माध्यम से हमन आपके सामने रखने की कोशिश की है।
कालेज स्टार्ट होते ही इंजी. और मेडिकल कालेजो में एडमिशन लेनेवाले लड़के-लडकियों के जेहन में सब से बडा सवाल यही उठत्ता है कि उनके सीनियर उनके साथ कैसे पेश आयेंगे । वे रैगिंग के नाम पर उनसे कैसे उल्टे-सीधे प्रश्न पूछेंगे । वह उनका जवाब कैसे देगा। उन्हें अपने टीचरों का इतना डर नही सतात जितना किसी सीनियरें का। वे पढ़ाई को लेकर इतना चिन्तित नहीं रहते जितना कि रैगिंग को लेकर रहते है। सरकार ने रैगिंग पर तरह से प्रतिबन्ध्द लगा रखा है रैगिंग को कानून अपराध धोषित कर दिया गया है फिर भी स्कूलो और कालेजो मे यह चोरी छुपे बदस्तूर जारी है ।
रैगिंग मे उनके द्वारा पूछे गये कुछ उल्टे-सीधे प्रशनो और स्टेटस के नाम पर उनके अन्दर डाली जानीवाली कुछ गलत आदतो के बारे में उल्लेखित किया गया है । अमूमन जैसे शराब सिगरेट पिलाना, शरीर के कपड़े उतरवाकर, किसी लडकी को आइ लव यू बुलवाना, बीच सडक पर अपने सीनियरो के सामने नब्बे डिग्री पर झुक कर सलाम ठोकना, टेक्निकल नाम, टेक्निकल गाने गनवाना अण्डरवियर में कैम्पैस के चक्कर लगवाना, वगैरह वगैरह आदि ऐसे ही बहुत सारे सवाल उठ रहे हो ने अपनी जेहन मे जो आये नही जातने होगे । के सारी चीजे रैगिंग के अन्दर विस्तारसे बतायी गयी है। ऐसा क्या है रैगिंग के अन्दर कि छात्र-छात्राएं आत्महत्या करने जैसे कठोर कदम उठा लेते है, जिसे जानने की जिज्ञासा जरुर उठती होगी आपके मनमें । हमने रैगिंग के माध्यम से इनसारे प्रशनों का उत्तर आपके सामने रखने की कोशिश की है । तो आइये हमारे साथ रैगिंग के पननेपलटिये और उसके खटटे-मीठे अनुभवो का आनन्द लिजिए ।
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अजय कुमार सिंह
अजय कुमार सिंह